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जलवायु परिवर्तन की शिकार छत्तीसगढ़ की पारम्परिक चिकित्सा और जड़ी-बूटियाँ

जलवायु परिवर्तन की शिकार छत्तीसगढ़ की पारम्परिक चिकित्सा और जड़ी-बूटियाँ                                                                          - पंकज अवधिया  " जैसा कोदो चार-पांच दशक पहले होता था वैसा कोदो अब शायद ही मिले| वही खेत है, वही पुरानी किस्म है और वैसा ही खेती करने का ढंग है पर फिर भी औषधीय गुणों से भरपूर कोदो नही उगा पाते हैं|" छत्तीसगढ़ के मैदानी भाग के पारम्परिक चिकित्सक पारम्परिक फसल कोदो को लेकर शिकायत करते हैं| ये वे पारम्परिक चिकित्सक है जिन्होंने आधुनिक कृषि के भ्रमजाल से दूर रहकर पारम्परिक फसलों पर अपना ध्यान केन्द्रित किया और अधिक उत्पादन व मुनाफ़ा वाली आधुनिक खेती को नही अपनाया| ये पारम्परिक चिकित्सक कोदो से रोगों की चिकित्सा करते हैं| उसी कोदो से जिसकी अब दुनिया भर में मांग बढ़ती जा रही है डायबीटीज की शर्तिया दवा के रूप में|  यदि दुनिया भर में कृषि विज्ञान के सन्दर्भ साहित्य खोजे तो कोदो की घटती गुणवत्ता के विषय में कुछ भी पढने को नही मिलेगा पर पीढीयों से कोदो के माध्यम से पारम्परिक चिकित्सा कर रहे विशेषज्ञों के अनुभवों को अनदेखा नही किया जा सकता